Tuesday, December 15, 2009

घणी खम्मा

आंख्यां माहीं गीद पड़्या, नांव मिर्गानेणी !
आँख गयी संसार गयो, कान गया हुंकार गयो !
ऊन्दरे रो जायो तो बिल ही खोदसी !
इयाँ ही रांडा रो बोकर सी , इयाँ ही पावणा जीम बोकर सी !
आठ फिरंगी नौ गौरा , लड़े जाट रा दो छोरा !
रतन जैन , पडिहारा

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