लिछमिपत रै घर में घाटो
घणी गरीबी गीलो ऑटो!
क्षेत्रवाद रो भूत निडर हो
राष्ट्रवाद रै मारै चान्टो!
शीशा रै घर में रेवे अ'र
दुजां रै घर फेंकै भाटो!
मेला जठै लागता रेवै
बठै पसर गयो सन्नाटो!
थांरी-म्हारी करणी छोड़ो
और देस नै मतना बांटो!
मनोहरलाल गोयल
(मारवाडी डाइजेस्ट से साभार )
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