इस्या ही महे, इस्या ही म्हारा सगा !
आंधे री गफ्फी , बोले रो बटको !
Thursday, December 17, 2009
Tuesday, December 15, 2009
घणी खम्मा
आंख्यां माहीं गीद पड़्या, नांव मिर्गानेणी !
आँख गयी संसार गयो, कान गया हुंकार गयो !
ऊन्दरे रो जायो तो बिल ही खोदसी !
इयाँ ही रांडा रो बोकर सी , इयाँ ही पावणा जीम बोकर सी !
आठ फिरंगी नौ गौरा , लड़े जाट रा दो छोरा !
रतन जैन , पडिहारा
आँख गयी संसार गयो, कान गया हुंकार गयो !
ऊन्दरे रो जायो तो बिल ही खोदसी !
इयाँ ही रांडा रो बोकर सी , इयाँ ही पावणा जीम बोकर सी !
आठ फिरंगी नौ गौरा , लड़े जाट रा दो छोरा !
रतन जैन , पडिहारा
Sunday, November 15, 2009
Saturday, November 14, 2009
गीत्ड्लो
एक दिवो घूंघट में दमके
दूजो सोवै हाथां ,
मुलक्याँ दीपशिखा सी चिमके
उजलै धोलै दांतां !
हिवड़े में पिवजी रो दिवो
प्रेम पगी मन जोत ,
लैब डब नेह उभारां लेतो
दियो प्रकाशै भोत !
आ लिछमी ममता री मूरत, बा अभिमान जताती
वह भई, शेखावाटी !
मुरली बासोतिया
(मारवाड़ी डाइजेस्ट से साभार )
दूजो सोवै हाथां ,
मुलक्याँ दीपशिखा सी चिमके
उजलै धोलै दांतां !
हिवड़े में पिवजी रो दिवो
प्रेम पगी मन जोत ,
लैब डब नेह उभारां लेतो
दियो प्रकाशै भोत !
आ लिछमी ममता री मूरत, बा अभिमान जताती
वह भई, शेखावाटी !
मुरली बासोतिया
(मारवाड़ी डाइजेस्ट से साभार )
Friday, November 13, 2009
Thursday, November 12, 2009
माँ
माँ तूं बूढी हो 'र भी
कितो काम कर लै,
इतो सारो इमरत , लाड-प्यार
हिवडे में भरले!
ख़ुद खाणे सूं पैली
टाबरियां ने खिला ' र
ख़ुद आधो पेट भर'र
चुपचाप सो'जा ।
रोज बापू सूं मार , क्लेश रो विष
एकली पी' जा!
माँ, इसी के शग्ती है थारे में
म्हाने ई बतादै?
माँ , म्हारी भोळी माँ बोली -
लाड-कोड़ , प्रेम!
रतन जैन
कितो काम कर लै,
इतो सारो इमरत , लाड-प्यार
हिवडे में भरले!
ख़ुद खाणे सूं पैली
टाबरियां ने खिला ' र
ख़ुद आधो पेट भर'र
चुपचाप सो'जा ।
रोज बापू सूं मार , क्लेश रो विष
एकली पी' जा!
माँ, इसी के शग्ती है थारे में
म्हाने ई बतादै?
माँ , म्हारी भोळी माँ बोली -
लाड-कोड़ , प्रेम!
रतन जैन
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