ऊंचे लोगाँ सूं व्योहार
मतना सुपनों देखि यार।
ओ गेलो है काँटा भरियो
एक फूल अ र सूळ हज़ार।
गर्दन , आंख्यां, कमर झुकगी
जो भी आया आँ दरबार।
अल्दा बाट लेणे-देणे रा
किंयाँ करेलो तूं ब्योपार।
अब तो जा तूं काल आईजे
सूटकेस भर ल्या उपहार !
माया जालान
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