Saturday, August 8, 2009

मुल्क्या मतना

सेठ धनीराम कई बरस बाद परदेस सूं गाँव आया। गुमास्तो टेसन पर सामो गयो। रामा श्यामा करी। सेठजी घर रा हालचाल पूछ्या-घर में सै ठीकसर तो है नीं ?

हाँ , सेठा, और तो सै ठीक है पण थांरो लाडलो गंडकडॉ मरग्यो!

बो तो मोटो ताजो हो , इयाँ कियां मरग्यो?

सेठा , बो थांरे घोड़ेरो मांस खा लियो हो!

तो के म्हारो घोड़ों भी मरग्यो?

सेठा , कोई जिनावर घास फूस बिन्या जिन्दों रह सकै है के?

पण , मैं तो मोकलो घासफूस छोड़ र गयो हो?

सेठा , बो तो थांरी माँ रे ही काम आग्यो। और सै ठीक है सेठा ।

हे भगवान् ! म्हारो कुत्तो मरग्यो, घोड़ों मरग्यो, माँ मरगी

अ र तूं कैरैयो है सै ठीक है! साला ! पण आ तो बता म्हारी माँ रे के हुग्यो हो?

सेठा, बै आपरे पोते पर हियो दे दियो हो ! और तो सै ठीक है सेठा!

तो के म्हारो इक्लोतो छोरो भी कोनी रैयो?

सेठा, नान्हो टाबर माँ बिन्या कियां रह णे सकै?

तो म्हारी लुगाई भी कोनी रई के?

सेठा, म्हारे मुंडे सूं कियां केवूं? और सै ठीक है!

सेठाणी ने के हुग्यो हो जो बा मन्ने एक्लो छोड़ र चलगी ?

सेठा, बिरखा में बै हेली में ही दब्ग्या

तो हेली भी पड़ गी?

हाँ सेठा, और तो सै ठीक है , म्हारे माथे न छोड़!

मारवाडी डाइजेस्ट से साभार

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