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Friday, August 28, 2009
गम रो पर्वत , तम रो झरणो
दोरो
लागे अठै ठहरणो।
कातिल आंख्यां बोझल सांसा
ख़ुद सूं ही घबराणो , डरणो ।
सांच नै टालो झूठ निबावो
नही पड़े लो फांसी चढ़णो।
लोग तनै पागल समझैला
मिनखप्णे सूं प्रेम न करणो
atul jain
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PARIHARA (CHURU), RAJASTHAN, India
jeevan ko bahut kareb se dekha, jana, aur pahchana. paya ki yahan apna koi nahi aur sabhi apne hi hai.
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